कितने दिन से दबी बात, आज होंटो पे बयां हूई है;
मेरी जाने तमन्ना मुझे तुमसे मोहब्बत हूई है:
मेरे प्यार को मत देना तुम दीवानगी का नाम;
क्योंकि ये लगता है, मुझे अब आखरी बार मोहब्बत हूई है:
तेरे दीदार मुझे चाँद की याद दिलाता है,
आज फिर चाँद देखने की हसरत हूई है;
मुझे अब आखरी बार मोहब्बत हूई है:
तेरे हाँ के इंतज़ार में सुबह से शाम हूई है;
मुझे न ना करना, मुझे अब आखरी बार मोहब्बत हूई है...
Friday, December 10, 2010
ख्याल आया
आज उस से बात करने को दिल चाहया;
तो मैंने फ़ोन में सिग्नल नहीं पाया
जब फ़ोन में सिग्नल आया;
तो मैंने अपना बैलेंस कम पाया
फिर मैंने अपने दिल को समझाया ;
चलो उस से बात नहीं कर पाया
कम से कम उसका ख्याल तो दिल में आया
तो मैंने फ़ोन में सिग्नल नहीं पाया
जब फ़ोन में सिग्नल आया;
तो मैंने अपना बैलेंस कम पाया
फिर मैंने अपने दिल को समझाया ;
चलो उस से बात नहीं कर पाया
कम से कम उसका ख्याल तो दिल में आया
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